[Best] Poem on Village in Hindi – Apna gaaw(अपना गाँव )
Lovely Poem on Village
मुर्गे की बाग़ से खुली आंखे,
Poem on Village in Hindi
एक आंख आधी बंद,
दूसरी खुलती हुई थोड़ी थोड़ी,
चिड़ियों की चहचआहट से,
एक नई सुबह की शुरुआत,
बेले की सुन्दर खुशबू में,
हल्के से सूरज का दीदार,
यहीं तो मिलता है,
प्रक्रिति का ढेर सारा प्यार,
बाहर थोड़ी दूर पर,
घने बरगद की छाँव,
कितना प्यारा है ये,
अपना गाँव।
यारों के टोली संग सुबह का वाक,
वह एक दूजे से मस्ती भरा टॉक,
यहीं कुछ यहाँ वहां की बात,
मस्ती भरे मन से,
सब चलते एक साथ,
भरे जल से लोटा लिए हाथ,
दूर पटरियों की तरफ,
कहीं झाड़ियों के पीछे,
तो कोई पत्थरों के नीचे,
एक दूसरे को रिझाने को,
पत्थरों से करते वॉर,
नीम की दातुन लिए,
सब बैठे एक साथ,
कही दूर नीम की छाव,
कितना प्यारा है ये,
अपना गाँव।
नहा धोकर खेलने निकल जाना,
नहीं कोई सुध खाने पीने की,
तेज धुप भी थका न सके,
ऐसी आग है अपने सीने की,
गर्मी के महीने में,
पसीने से भीगे बदन पर,
हवा जो छू जाये,
वो ठंडी ताजगी दे जाये,
भरी दोपहरी में बगीचे में,
सब बैठे कहीं किसी,
आम की छांव,
कितना प्यारा है ये,
अपना गाँव।
यहाँ की शीतल पवन से,
मन विभोर हो उठता है,
ठंडी हवा जो छू जाये,
दिल ये खिल उठता है,
सर्दी के दिनों की वो सर्द हवा,
वो कोहरे का जमावड़ा,
कोहरे की अन्धकार में भी,
बच्चों की टोली,
रोज जो खेलती है,
धुएँ से अठखेली,
घर पर अपने अलाव जलाते,
बूढ़े काका, चाचा, दादा,
आग के सामने बैठे,
सब एक साथ,
सकते अपने हाथ पाँव,
कितना प्यारा है ये,
अपना गाँव।
दिल को सुकून जो दे जाये,
वो मौसम बसंत का,
सर्दी और गर्मी का मेल,
सरसों के फूलों संग,
हवा का खेल,
टप-टप करती बुँदे,
वो बारिश के मौसम में,
बादलों का मेल,
अंधी आये बारिश आये,
पर मस्ती न कभी कम पड़ पाए,
भीगते बच्चों की टोली,
करती बूंदों संग अठखेली,
कही दूर जामुन की छांव,
कितना प्यारा है ये,
अपना गाँव
कितना प्यारा है ये, अपना गाँव।।
Final Word:
We hope you like the Apna Gaav Poem on Village in Hindi that is written by Durga Prasad Mishra. If you really like so Give Us your Lovely comment as also share it with your lovely Friends and Family members.
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